समस्तीपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रों की समस्याओं एवं उन्हें शैक्षणिक रोजगार से जोड़ने के लिए हमेशा ही सरकार, सत्ता एवं व्यवस्था में बैठे लोगों के आंखों पर से अहंकार की पट्टी हटाकर उसकी समस्याओं के समाधान के लिए बाध्य करते आ रही है। उक्त बातें जिला संयोजक अनुपम कुमार झा ने रविवार को प्रेस वार्ता के दौरान कहीं। कहा कि कोविड-19 की भयंकर महामारी की आड़ में बिहार सरकार ने चोरी-छिपे एसटीइटी की परीक्षा को रद कर छात्रों के रोजगार से जुड़ने के विकल्प को ही बंद कर दिया। सरकार को अब बिहार के छात्रों के भविष्य की चिता नहीं रही। नगर मंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार सरकार की दूषित मानसिकता को विफल कर छात्रों की समस्याओं को समाधान की ओर ले जाने के लिए, रोजगार के मुद्दे पर विफल हो रही सरकार को घेरने के लिए परिषद द्वारा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य की बैठक कर छात्र समस्या एवं रोजगार के विषय पर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विकास कुंवर ने कहा कि इन आंदोलनों से घबराकर सरकार ने आनन-फानन एसटीईटी की रद परीक्षा को तीन माह के अंदर लेने की घोषणा तो कर दी है, परंतु रद करने हेतु जिन अनियमितता, अराजकता व भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं, उनपर अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई करना तो दूर उनकी सूची तक जारी न करना सरकार की कुंठित मानसिकता को दर्शाता है। एसटीईटी की परीक्षा पुन: लेने की पहल का परिषद स्वागत तो करती है, परंतु पुन: संभावित भ्रष्टाचार की संभावनाओं का विरोध भी करती है। बिहार सरकार जिस बेल्ट्रॉन कंपनी के माध्यम से तीन माह के अंदर परीक्षा लेने की घोषणा कर रही है, उस कंपनी के खिलाफ भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले हाईकोर्ट में दर्ज हैं।
