समस्तीपुर : बच्चों को काबिल बनाना और उन्हें मंजिल तक पहुंचाने में बेशक हर अभिभावक का योगदान खास होता है। यह एक बड़े चैलेंज से कम नहीं है। लेकिन, एक मां के जज्बे ने अपने बेटे को इस काबिल बनाया कि वह आज अपने पैरों पर खुद खड़ा हो गया है। ऐसी मां लाखों को लिए प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं हैं। शिक्षिका के पद से सेवानिवृत्त रेणुका सिन्हा ने जिदगी के हर सुख-दुख को भूल बेटे को काबिल बनाकर समाज के लिए एक मिसाल पैदा की है। इस सफलता तक मां एक मजबूत ढाल बनकर खड़ी रही। मदर्स डे के मौके पर दैनिक जागरण ने शहर की इस खास मां रेणुका सिन्हा से बेटे धनंजय कुमार को काबिल बनाने से जुड़े अनुभवों को साझा किया। रेणुका बताती हैं कि बेटा धनंजय जब 7-8 साल का था, उसके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद तीनों बेटा व बेटी की परवरिश करते हुए अच्छी शिक्षा दिलाई। बड़ा बेटा संजय कुमार इंजीनियरिग करने के बाद इंफोसिस कंपनी में कार्यरत हैं। प्रशासनिक अधिकारी के पद पर दे रहे सेवा
मां के ²ढ़ विश्वास और बेटे के प्रति प्यार ही था कि कड़ी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने पुत्र को उसकी मंजिल तक पहुंचाया। 30 साल का धनंजय अब बिहार प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। जिनकी ड्यूटी आजकल प्रोबेशन के रूप में पटना के सीनियर डिप्टी कलक्टर के पद पर है। उसने बीपीएसी 60-62 वर्ष 2019 में धनंजय कुमार ने 21वीं रैंक हासिल किया। उसके बाद अभी प्रोबेशन में पटना में सीनियर डिप्टी कलक्टर के पद पर कार्यरत हैं। बेटे की इस सफलता में मां का योगदान अमूल्य है।