समस्तीपुर । शहर के काशीपुर मोहल्ला में सरकारी वकील कृष्ण मुरारी प्रसाद ने सोमवार को तड़प -तड़पकर दम तोड़ दिया। उनकी तबीयत तीन दिन पहले बिगड़ी थी। सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत पर उन्हें सदर अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था। जहां पर उनका कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लिया गया था। अधिवक्ता ने ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताते हुए भर्ती करने का आग्रह भी किया था। लेकिन, बिना इलाज पूरा किए ही उन्हें घर भेज दिया गया। बताया जाता है कि विगत 18 जुलाई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी। किंतु, अस्पताल में भर्ती नहीं कर उन्हें होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया। सोमवार को अचानक उनकी तबीयत अत्यधिक खराब हो गई। आवास से उनके स्वजन निजी एबुलेंस चालक के साथ अस्पताल पहुंचे। चिकित्सक ने पीपीई किट पहनकर एबुलेंस में ही मरीज की जांच करते हुए मृत घोषित कर दिया। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. सतीश कुमार सिन्हा ने कहा कि मरीज की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सोमवार की शाम उनकी मौत हो गई। अधिवक्ता व्यवहार न्यायालय के एक्ससाइज एक्ट के सरकारी वकील थे।
ऑक्सीजन के अभाव में हो गई मौत
स्वजन ने कहा कि सरकारी वकील की जान बचाने के लिए हर दरवाजे पर गए। लेकिन, स्वास्थ्य प्रशासन ने उनका इलाज नहीं कराया। स्वजनों ने बताया कि उनकी सांसे अटकी थीं। जान खतरे में थी। अस्पताल प्रशासन से ऑक्सीजन दिलाने को कहा लेकिन, जान नहीं बची। इसके लिए स्वास्थ्य प्रशासन की व्यवस्था जिम्मेदार है।
न्यायालय परिसर को पूर्ण तरह से किया जाए सैनिटाइज्ड बिहार राज्य बार काउंसिल के सदस्य सह अधिवक्ता जितेंद्र नारायण सिन्हा ने कहा कि सरकारी अधिवक्ता कृष्ण मुरारी की मौत हो गई है। अस्पताल ने उन्हें एडमिट करने से मना कर दिया। पर्याप्त सुविधा ना होने का कारण देकर भर्ती नहीं करना बड़े ही दुर्भाग्य की बात है। सदर अस्पताल में इस बीमारी से लड़ने की पर्याप्त सुविधा नहीं है। न्यायालय परिसर को पूर्ण तरह से सैनिटाइज किया जाए। उनके संपर्क में आने वाले सभी वकील की जांच होनी चाहिए। अधिवक्ता राजेंद्र झा ने भी स्वास्थ्य प्रशासन को लापरवाह बताया है। कहा कि पूरे परिसर को सैनिटाइज्ड कराना अति आवश्यक है।