समस्तीपुर । सदर अस्पताल में सोमवार की रात्रि सरायरंजन के युवक की कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद उसे छूने के लिए कोई भी स्वास्थ्य कर्मचारी तैयार नहीं थे। काफी मशक्कत के बाद अस्पताल प्रशासन ने पूर्व में पोस्टमार्टम कार्य में सहयोग करने वाली मंजू देवी व उसके पुत्र दीपक मल्लिक को बुला लिया। फिर काम पर रखने का झूठा प्रलोभन देकर रात्रि में कोरोना संक्रमित मृत युवक के शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया। दोनों मां व पुत्र ने पीपीई किट पहनकर शव को अंदर रख दिया। अब सुबह होने के बाद अस्पताल प्रशासन अपनी बात से पलट गया। मां व पुत्र को डीएम द्वारा रखने के लिए तैयार नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया गया।
जानकारी के अनुसार सरायरंजन के एक युवक की मौत हो गई थी। उसको कोरोना सैंपल जांच के लिए लिया गया था। रिपोर्ट आने तक शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखने का निर्णय लिया गया। रात्रि में पोस्टमार्टम कार्य में सहयोग करने वाले कर्मी नागेंद्र मल्लिक को बुलाया गया। उसने कोरोना सुनते ही शव को छूने से इंकार कर दिया।
काम पर रखने का प्रलोभन देकर बुलाया
युवक का शव वाहन में घंटों तक रहने के बाद परिजन आक्रोशित हो उठे। इसके बाद अस्पताल प्रबंधक विश्वजीत रामानंद ने मंजू के मोबाइल पर कॉल किया। पहले तो उसने आनाकानी की। फिर प्रबंधक ने एडीएम से काम पर रखने के बात का हवाला दिया। जिसके बाद वह अपने पुत्र के साथ अस्पताल पहुंची। फिर उसने शव को प्लास्टिक में पैक करने के बाद स्ट्रेचर पर रखकर अंदर किया।
मुख्यमंत्री से न्याय दिलाने को भेजा पत्र
सदर अस्पताल में शव के पोस्टमार्टम में सहयोग और लावारिस के डिस्पोजल का काम करने वाली मंजू को पूर्व में अवैध रूप से रुपये लेने के मामले में अस्पताल से हटा दिया गया था। इसको लेकर मंजू ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। इसमें बताया कि उसे दैनिक मजदूरी के रुप में 102 रुपये के एवज में 24 घंटा काम लिया जाता है। न्यायालय द्वारा अस्पताल अधीक्षक को पैनल बनाकर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद पर नियुक्ति करने को कहा गया था। लेकिन टाल मटोल के तहत नियुक्ति नहीं की गई। इसके बाद उसे पोस्टमार्टम कार्य में सहयोग से हटा दिया गया। इसको लेकर उसने 15 दिनों के अंदर न्याय नहीं मिलने पर परिवार सहित आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया है।